करवा चौथ : एक अंधविश्वास - करवा चौथ की सच्चाई

कहे जो करवाँ चोथ कहानी, दास गधेडी निच्ये जानी ।


करे एकादसी संजम सोई , करवा चौथ गधेरी होई ।।आठे,साते करे कंदूरी, सो तो बने नीच घर सूरी ।।




आन धर्म जो बन बसे, कोए करो नर नारी ।
गरीब दास जनदाके हैं,वो जासी मतवार ।


☝अर्थात् ;- परमात्मा गरीबदास जी को कहते हैं

 ( आन धर्म ) मतलब धार्मिक पूजा को छोड़के कोई अन्ये पूजा करते हैं वो ठीक नहीं हैं और जो अन्ये पूजाएँ करता हैं वो नर्क में जायेगा वो चाहे पुरुष हो या स्त्री,,,
और जो करवाँ चोथ का व्रत रखते हैं और जो उन्हें कहानी सुनाती हैं स्त्रियां उनकी चोट्टी पकड़ कर लेजायेगा ये काल नर्क में और गधे की योनि में डालेगा ये काल.........



करवा चोथ का व्रत वेद क्या कहता है 




धर्म की जिज्ञासा वाले के लिए वेद ही परम प्रमाण है ,अतः हमें वेद में ही देखना चाहिए कि वेद का इस विषय में क्या आदेश है ? वेद का आदेश है—-

व्रतं कृणुत !  ( यजुर्वेद  ४-११ )
व्रत करो , व्रत रखो , व्रत का पालन करो
ऐसा वेद का स्पष्ट आदेश है ,परन्तु कैसे व्रत करें ? वेद का व्रत से क्या तात्पर्य है ? वेद अपने अर्थों को स्वयं प्रकट करता है..
वेद में व्रत का अर्थ है—-

अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छ्केयं तन्मे राध्यतां इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि  !!   ( यजुर्वेद  १–५ )

हे व्रतों के पालक प्रभो ! मैं व्रत धारण करूँगा , मैं उसे पूरा कर सकूँ , आप मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें… मेरा व्रत है—-मैं असत्य को छोड़कर सत्य को ग्रहण करता रहूँ।

इस मन्त्र से स्पष्ट है कि वेद के अनुसार किसी बुराई को छोड़कर भलाई को ग्रहण करने का नाम व्रत है..शरीर को सुखाने का , रात्रि के १२ बजे तक भूखे मरने का नाम व्रत नहीं है..चारों वेदों में एक भी ऐसा मन्त्र नहीं मिलेगा जिसमे ऐसा विधान हो कि एकादशी , पूर्णमासी या करवा चौथ आदि का व्रत रखना चाहिए और ऐसा करने से पति की आयु बढ़ जायेगी … हाँ , व्रतों के करने से आयु घटेगी ऐसा मनुस्मृति में लिखा है

पत्यौ जीवति तु या स्त्री उपवासव्रतं चरेत्  !
आयुष्यं बाधते भर्तुर्नरकं चैव गच्छति  !!

जो पति के जीवित रहते भूखा मरनेवाला व्रत करती है वह पति की आयु को कम करती है और मर कर नरक में जाती है …
अब देखें आचार्य चाणक्य क्या कहते है —

पत्युराज्ञां विना नारी उपोष्य व्रतचारिणी  !
आयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत्  !!  
( चाणक्य नीति – १७–९ )

जो स्त्री पति की आज्ञा के बिना भूखों मरनेवाला व्रत रखती है , वह पति की आयु घटाती है और स्वयं महान कष्ट भोगती है …
अब कबीर के शब्द भी देखें —

राम नाम को छाडिके राखै करवा चौथि !
सो तो हवैगी सूकरी तिन्है राम सो कौथि !!


जो इश्वर के नाम को छोड़कर करवा चौथ का व्रत रखती है , वह मरकर सूकरी बनेगी
ज़रा विचार करें , एक तो व्रत करना और उसके परिणाम स्वरुप फिर दंड भोगना , यह कहाँ की बुद्धिमत्ता है ?
अतः इस तर्कशून्य , अशास्त्रीय , वेदविरुद्ध करवा चौथ की प्रथा का परित्याग कर सच्चे व्रतों को अपने जीवन में धारण करते हुए अपने जीवन को सफल बनाने का उद्योग करों




करवाचौथ व्रत या पत्नी को गुलामी का
अहसास दिलाने का एक और दिन?


'श्रद्धा या अंधविश्वास'




दोस्तों क्या महिला के उपवास रखने से पुरुष
की उम्र बढ़ सकती है?क्या धर्म का कोई
ठेकेदार इस बात की गारंटी लेने को तैयार
होगा कि करवाचौथ जैसा व्रत करके पति
की लंबी उम्र हो जाएगी? मुस्लिम नहीं
मनाते, ईसाई नहीं मनाते, दूसरे देश नहीं मनाते
और तो और भारत में ही दक्षिण, या पूर्व में
नहीं मनाते लेकिन इस बात का कोई सबूत
नहीं है कि इन तमाम जगहों पर पति की उम्र
कम होती हो और मनाने वालों के पति की
ज्यादा,
क्यों दोस्तों है किसी के पास कोई जवाब?
दोस्तों यह व्रत ज्यादातर उत्तर भारत में
प्रचलित हैं, दक्षिण भारत में इसका महत्व ना
के बराबर हैं, क्या उत्तर भारत के महिलाओं के
पति की उम्र दक्षिण भारत के महिलाओं के
पति से कम हैं ?क्या इस व्रत को रखने से उनके
पतियों की उम्र अधिक हो जाएगी?क्या
यह व्रत उनकी परपरागत मजबूरी हैं या यह एक
दिन का दिखावा हैं?
दोस्तों इसे अंधविश्वास कहें या आस्था की
पराकाष्ठा?पर सच यह हैं करवाचौथ जैसा
व्रत महिलाओं की एक मजबूरी के साथ उनको
अंधविश्वास के घेरे में रखे हुए हैं।कुछ महिलाएँ इसे
आपसी प्यार का ठप्पा भी कहेँगी और साथ
में यह भी बोलेंगी कि हमारे साथ पति भी
यह व्रत रखते हैं। परन्तु अधिकतर महिलाओं ने इस
व्रत को मजबूरी बताया हैं।
एक कांफ्रेस में मैंने खुद कुछ महिलाओं से इस व्रत
के बारे में पूछा उनका मानना हैं कि यह
पारंपरिक और रूढ़िवादी व्रत है जिसे घर के
बड़ो के कहने पर रखना पड़ता हैं क्योंकि कल
को यदि उनके पति के साथ संयोग से कुछ हो
गया तो उसे हर बात का शिकार बनाया
जायेगा, इसी डर से वह इस व्रत को रखती हैं।
क्या पत्नी के भूखे-प्यासे रहने से पति
दीर्घायु स्वस्थ हो सकता है? इस व्रत की
कहानी अंधविश्वासपूर्ण भय उत्पन्न करती है
कि करवाचौथ का व्रत न रखने अथवा
अज्ञानवश व्रत के खंडित होने से पति के
प्राण खतरे में पड़ सकते हैं, यह महिलाओं को
अंधविश्वास और आत्मपीड़न की बेड़ियों में
जकड़ने को प्रेरित करता है। सारे व्रत-उपवास
पत्नी, बहन और माँ के लिए ही क्यों हैं? पति,
भाई और पिता के लिए क्यों नहीं?क्योंकि
महिलाओं की जिंदगी की कोई कीमत तो
है नहीं धर्म की नज़र में, पत्नी मर जाए तो
पुरुष दूसरी शादी कर लेगा, क्योंकि सारी
संपत्ति पर तो व्यावहारिक अधिकार उसी
को प्राप्त है। बहन, बेटी मर गयी तो दहेज बच
जाएगा। बेटी को तो कुल को तारना नहीं
है, फिर उसकी चिंता कौन करे?
अगर महिलाओं को आपने सदियों से घरों में
क़ैद करके रख के आपने उनकी चिंतन शक्ति को
कुंद कर दिया हैं तो क्या अब आपका यह
दायित्व नहीं बनता कि, आप पहल करके उन्हें
इस मानसिक कुन्दता से आज़ाद करायें?
मैं कुछ शादीशुदा लोगों से पूछना चाहता हूँ
की क्या आज के युग में सब पति पत्निव्रता हैं?
आज की अधिकतर महिलाओं की जिन्दगी
घरेलू हिंसा के साथ चल रही हैं जिसमें उनके
पतियों का हाथ है। ऐसी महिलाओं को
करवाचौथ का व्रत रखना कैसा रहेगा?
भारत का पुरुष प्रधान समाज केवल नारी से
ही सब कुछ उम्मीद करता हैं परन्तु नारी का
सम्मान करना कब सोचेगा?
एक बात और, मैंने अपनी आँखो से अनेक
महिलाओ को करवा चौथ के दिन भी
विधवा होते देखा है जबकि वह दिन भर
करवा चौथ का उपवास भी किये थी। दो
वर्ष पहले मेरा मित्र जिसकी नई शादी हुई
और पहली करवाचौथ के दिन सड़क हादसे में
उसकी मृत्यु हो गई, उसकी पत्नी अपने पति
की दीर्घायु के लिए करवाचौथ का व्रत
किए हुए थी, तो क्यों ऐसा हुआ? इसीवास्ते
मुझे लगता है की,करवा चौथ के आधार पर जो
समाज मे अंध विश्वास, कुरीति, पाखंड फैला
हुआ है, उसको दूर करने के लिए पुरुषों के साथ
खासतौर से महिलाए अपनी उर्जा लगाये
तो वह ज्यादा बेहतर रहेगा।
2) Balendu Swami
मैं अपने आस-पास की करवा चौथ रखने वाली
कुछ महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से जानता
हूँ: एक महिला जो 15 साल से विवाहित है
और रोज आदमी से लड़ाई होती है, सभी
जानते हैं कि इनका वैवाहिक जीवन नरक है.
दूसरी महिला जिसकी महीने में 20 दिन
पति से बोलचाल बंद रहती है और वो उसे
छुपाती भी नहीं है तथा अकसर ही अपनी
जिन्दगी का रोना रोती है.
इस तीसरी महिला को हफ्ते में दो तीन
बार उसका पति दारु पीकर पीटता है और
उस महिला के अनुसार वेश्याओं के पास भी
जाता है।
चौथी महिला के अपने मोहल्ले के ही 3 अलग
अलग पुरुषों के साथ शारीरिक सम्बन्ध हैं और
इसे लेकर पति के साथ लड़ाई सड़क पर आ चुकी
है तथा सबको पता है।
पांचवीं महिला की बात और भी विचित्र
है: उसका अपने पति से तलाक और दहेज़ का केस
कोर्ट में चल रहा है. केवल कोर्ट में तारीखों
पर ही आमना सामना होता है!
परन्तु ये सभी करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं!
क्यों रखती हैं तथा इनकी मानसिक
स्थिति क्या होगी? ये कल्पना करने के लिए
आप लोग स्वतंत्र हैं!
Mahesh Rathi
करवा चोथ का अध्यन मेने किया तब पाया
की दुनिया की बहुत छोटी संख्या इसको
मनाती हे ........कन्या भ्रूण हत्या के जो
कारण हे उसमे करवा चोथ के पीछे की
भावना भी एक बड़ा बुराई हे
.........महिलाओ द्वारा महिलाओ के लिए
जो ताबूत बनाये गए हे उसमे विधवा तथा
पुनर्विवाह का विरोध भी एक हे तथा
करवा चोथ उसका सामूहिक प्रदर्शन हे
........जो महिलाये करवा चोथ मनाती हे
...शायद वो अनजाने में विधवा विवाह तथा
लडकियो के पुनर्विवाह का भी विरोध
करती हे. पढ़ी लिखी लडकिया आजकल
करवा चोथ अपने मन से नहीं मनाती .......जैसे
जैसे लडकियो की शिक्षा का विकाश
होगा तथा समाज में सभ्यता का विकाश
होगा ........महिलाओ की मानवीय
गरिमा का इस तरह विरोध करने वाले
त्यौहार................क्या त्यौहार भी गिने
जाने चाहिए ?. इनका समर्थन नहीं किया
जाना चहिये....... अधिकांश महिलाये
पर्दा रखती थी लेकिन कुछ महिलाओ ने
पर्दा हटाया तथा आज वो गायब हे....ठीक
इसी तरह ये भी एक दिन गायब होगा।

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