#Kabir Sahib, #Sant Rampalji Maharaj जानिये कौन थे संत गरीबदास और उनकी जीवनी के बारे में • संत गरीबदास जी महाराज की जीवनी आदरणीय गरीबदास साहेब जी का आर्विभाव सन् 1717 में हुआ तथा साहेब कबीर जी के दर्शन दस वर्ष की आयु में सन् 1727 में नला न Saturday, April 15, 2017 1 Share
#Kabir Sahib, #वाणी दादू नाम कबीर का, सुनकर कांपे काल जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार।। Jin mokun nij naam diya, soi Satguru humaar। dadu doosra koi nahin, Kabir Thursday, February 09, 2017 Share
#Kabir Sahib, #True Spiritual Knowledge ऐसा राम कबीर ने जाना। धर्मदास सुनियो दै काना।। ऐसा राम कबीर ने जाना। धर्मदास सुनियो दै काना।। ऐसा राम कबीर ने जाना। धर्मदास सुनियो दै काना।। सुन्न के परे पुरुष को धामा। तहँ साहब है आदि अनामा ।। ताहि धा Tuesday, February 07, 2017 Share
#True Spiritual Knowledge, #वाणी जानिये क्या है मंगलाचरण का भावार्थ ? मंगलाचरण का अर्थ ।। अथ मंगलाचरण ।। गरीब, नमो नमो सत् पुरुष कुं, नमस्कार गुरु किन्ही ।। सुरवर मुनिजन साधवा , संतो सर्वस दीन्ही ।। 1।। अर्थ :- बंदी छोड़ गरी Friday, January 20, 2017 6 Share
#Kabir Sahib, #वाणी शब्द - धन सतगुरू सत् कबीर - भगत की पीड़ मिटाने वाले धन-धन सतगुरू सत् कबीर - भगत की पीड़ मिटाने वाले धन-धन सतगुरू सत कबीर, भगत की पीड़ मिटाने वाले। धन-धन सतगुरू सत कबीर, Monday, October 24, 2016 Share
#शब्द सत् कबीर द्वारे तेरे पर, एक दास भिखारी आया है{ सम्पुर्ण } सत् कबीर द्वारे तेरे पर, एक दास भिखारी आया है। भक्ति की भिक्षा दे दीजो, उम्मीद कटोरा लाया है।। सत कबीर द्वारे तेरे पर, एक दास भिखारी आया है। भक्ति की भिक् Sunday, October 16, 2016 3 Share
#वाणी, #शब्द अमर करूं सतलोक पठाँऊ, तातैं बन्दी छोड़ कहाऊँ ब्रह्मा विष्णु महेश्वर माया, और धर्मराय कहिये। महाराज गरीबदास जी अपनी वाणी में कहते हैं: ब्रह्मा विष्णु महेश्वर माया, और धर्मराय कहिये। इन पाँचों मिल Sunday, October 09, 2016 1 Share
#शब्द भक्ति दान गुरू दीजियो, देवन के देवा हो। भक्ति दान गुरू दीजियो , भक्ति दान गुरू दीजियो ।। टेक ।। देवन के देवा हो। भक्ति दान गुरू दीजियो, देवन के देवा हो। जन्म पाया भुलूँ नहीं, करहूँ पद सेवा हो। जन्म Friday, October 07, 2016 1 Share
#वाणी, #शब्द बलिहारी गुरू आपनें जिन गोबिंद दियो मिलाए.. कर जोडूँ विनती करूँ, धरूँ चरन पर शीश। गुरू जी रामदेवानंद जी महाराज नै, दियो नाम बक्शीश।। कोटी कोटी सिजदा करूँ, कोटी कोटी प्रणाम। चरण कमल मै राखियो, मैं ब Saturday, October 01, 2016 Share