अमेरिका की भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की महत्वपूर्ण भविष्यवाणी

अमेरिका की भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की महत्वपूर्ण भविष्यवाणी।



संत रामपाल दास जी महाराज के विषय में की गई भविष्यवक्ता फ्लोरेंस की सटीक भविष्यवाणी

अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणीयों में कई बार भारत का जिक्र किया है। ‘द फाल ऑफ सेंशेसनल कल्चर’नाम की अपनी पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि

 सन् 2000 आते-आते प्राकृतिक संतुलन भयावह रूप से बिगड़ेगा। लोगों में आक्रोश की प्रबल भावना होगी। दुराचार पराकाष्ठा पर होगा।

 पश्चिमी देशों के विलासितापूर्ण जीवन जीने वालों में निराशा, बैचेनी और अशांति होगी। अतृप्त अभिलाषाएं और जोर पकड़ेगी।


जिससे उनमें आपसी कटुता बढ़ेगी। चारों ओर हिंसा और बर्बरता का वातावरण होगा। ऐसा वातावरण होगा की चारों ओर हाहाकार मच जाएगा।


लेकिन भारत से उठने वाली एक नई विचारधारा इस घातक वातावरण को समाप्त कर देगी। वह विचारधारा वैज्ञानिक दृष्टि से सामंजस्य और भाई चारे का महत्व समझाएगी,वह यह भी समझाएगी कि धर्म और विज्ञान में आपस में विरोध नहीं है।आध्यात्मिकता की उच्चता और भौतिकता का खोखलापन सबके सामने उजागर करेगी।


ध्यमवर्ग उस विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित होगा। यह वर्ग समाज के सभी वर्गों को अच्छे समाज के निर्माण के लिए उत्प्रेरित करेगा। यह विचारधारा पूरे विश्व में चमत्कारी परिवर्तन लाएगी।


मुझे अपनी छठी अतींद्रिय शक्ति से यह एहसास हो रहा है कि इस विचारधारा को जन्म देने वाला वह महान संत भारत में जन्म ले चुका है। उस संत के ओजस्वी व्यक्तित्व का प्रभाव सब को चमत्कृत करेगा।


उसकी विचारधारा अध्यात्म के कम होते जा रहे प्रभाव को फिर से नई स्फूर्ति देगी। चारों ओर आध्यात्मिक वातावरण होगा।


 *संत की विचारधारा से प्रभावित लोग विश्व के कल्याण के लिए पश्चिम की ओर चलेंगे। धीरे-धीरे एशिया, यूरोप और अमेरिका पर पूरी तरह छा जाएगें।*




उस संत की विचारधारा से पूरा विश्व प्रभावित होगा और उनके चरण चिन्हों पर चलेगा। पश्चिमी देश के लोग उन्हें ईसा, मुसलमान उन्हें एक सच्चा रहनुमा और एशिया के लोग उन्हें भगवान का अवतार मानेंगे।

उस महान संत की विचारधारा से बौद्धिक क्रांति होगी। बुद्धिजीवियों की मान्यताएं बदलेंगी। उनमें ईश्वर के प्रति श्रद्धा और विश्वास की कोंपले फूटेंगी।

फ्लोरेंस के अनुसार वह संत भारत में जन्म ले चुकें हैं।
वह इस संत से काफी प्रभावित थी।अपनी एक दूसरी पुस्तक ‘गोल्डन लाइट ऑफ न्यू एरा’ में भी उन्होंने लिखा है।


 ‘‘जब मैं ध्यान लगाती हूँ तो अक्सर एक संत को देखती हूँ। गौर वर्ण का है। सफेद बाल हैं। उसके मुख पर न दाढ़ी है, न मूछ है।

उस संत के ललाट पर गजब का तेज होता है। उनके ललाट पर आकाश से एक नक्षत्र के प्रकाश की किरणें निरंतर बरसती रहती हैं।

 मैं देखती हूँ कि वह संत अपनी कल्याणकारी विचारधारा तथा अपने सत् चरित्र प्रबल अनुयायियों की शक्ति से सम्पूर्ण विश्व में नए ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं।

वह संत अपनी शक्ति निरंतर बढ़ा रहे हैं। उनमें इतनी शक्ति है कि वह प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं।


वह अपना कार्य वैज्ञानिक ढंग से करेंगे। उनकी कृपा और प्रयत्नों से मानवीय सभ्यता में नई जागृति आएगी।


विश्व के समस्त जनसमूह में नई चेतना का संचार होगा। लोकशक्ति का एक नया रूप उभर कर सामने आएगा जो सत्ताधारियों की मनमानियों पर अंकुश लगा देगा।


’’मनोचिकित्सक तथा सम्मोहन कला के विश्व प्रसिद्धज्ञाता डॉ. मोरे बर्सटीन की फ्लोरेंस से अच्छीदोस्ती थी। एक बार फ्लोरेंस ने उनसे भी कहा था।

‘‘डॉक्टर वह समय बड़ी तेजी से नजदीक आ रहा है जब सत्ता लोलुप राजनेताओं की अपेक्षा आप जैसे समाजसेवकों की बातें समाज अधिक ध्यान से सुनेगा।


 21 वीं सदी के आते आते एक नई विचारधारा पूरे विश्व को प्रभावित करेगी।

हर राष्ट्र में सच्चरित्र धार्मिक लोगों का संगठन लोगों के दिमाग में बैठी गलत मान्यताओं को बदल देगा। यह विचारधारा भारत से प्रस्फुटित होंगी। वहीं से पूरे विश्व में फैलेगी।

मैं उस पवित्र स्थान पर एक प्रचंड तपस्वी को देख रही हूँ। जिसका तेज बड़ी तेजी से फैल रहा है। मनुष्य में सोए देवत्व को जगाने तथा धरती का स्वर्ग जैसा बनाने के लिए वह संत दिन रात प्रयत्न कर रहे हैं।

>> एक पत्रकार ने 1964 में फ्लोरेंस से पूछा था कि क्या वह दुनिया का भविष्य बता सकती है।

फ्लोरेंस ने इसके जवाब में कहा था 1970 की शुरूवात व्यापक उथल-पुथल के साथ होगी।

*1979-80 के बाद ऐसे-ऐसे भूकंप आऐंगे की न्यूजर्सी का कुछ हिस्सा तथा यूरोप का और एशिया के कई देशों के स्थान भूकंप से विदीर्ण हो जाएंगे। कुछ जलमग्न भी हो जाऐंगे!*
तृतीय विश्वयुद्ध का आतंक सबके दिमाग में बैठ जाएगा और वे इस युद्ध की तैयारी करेंगे,
लेकिन भारतीय राजनेता अपने प्रभाव और बुद्धि से तीसरे विश्वयुद्ध को टालने में सफल हो जाऐंगे।

 तीसरे विश्वयुद्ध के शुरू होने तक भारत के शासन की बागडोर आध्यात्मिक प्रवृत्ति के लोगों के हाथ में होगी, इसलिए उनके प्रभाव से विश्वयुद्ध टलेगा।

वे शासक एक महान संत के ओजस्वी तथा क्रांतिकारी विचारधारा से प्रभावित होंगे।
 वे उस संत के प्रति उसी तरह समर्पित होंगे जैसे वाशिंगटन स्वतंत्रता एवं मानवता के प्रति समर्पित थे।’’


>> अमेरिका के शहर न्यूजर्सी की रहने वाली फ्लोरेंस सचमुच एक विलक्षण महिला थी। एक बार नेबेल नाम के व्यक्ति ने टी.वी. कार्यक्रम के दौरान उनसे बोला,


‘‘आप भारत में जन्म ले चुके संत के बारे में तो अक्सर बताती रहती हैं। मैं अपने बारे में कुछ जानना चाहता हूँ बताइए।


’’फ्लोरेंस ने उसके दाहिने हाथ को थाम लिया और बोली,
‘‘आप बहुत जल्द किसी दूसरे राज्य से प्रसारण करेंगे।


’’ नेबेल एक प्रसारण सेवा के कर्मचारी थे। फ्लोरेंस की इस बात पर वह हंसने लगे। कुछ क्षण बाद बोले :-

‘‘आपने मुझसे यह अच्छा मजाक किया। यदि हमारी कंपनी के अधिकारी इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे तो मैं दूसरे राज्य में जाऊ या नहीं, फिलहाल अपनी कंपनी से तुरंत निकाल दिया जाऊंगा।


’’ कुछ ही मिनटों के बाद टी.वी. के कंट्रोल रूम का फोन घनघना उठा। फोन नेबेल के लिए था। उनकी कंपनी के जनरल मैनेजर उनसे बात करना चाहते थे। नेबेल ने जब फोन उठाया तो उन्होंने कहा हमने न्यूयार्क से प्रसारण करने का काम शुरू करने का निर्णय लिया है वहां तुम्हें ही भेजा जाएगा।
अभी यह बात गुप्त रखना इसकी घोषणा कल की जाएगी।

मैं टीवी. पर फ्लोरेंस के साथ तुम्हारी बातचीत देख रहा था। फ्लोरेंस ने तुम्हारे विषय में जो बताया है वह पूरी तरह सच है। आश्चर्य है कि उन्हें यह बात कैसे मालूम हो गई ?

’’ नेबेल फ्लोरेंस का चेहरा देखता रह गया।

>> कुछ पत्रकारों ने उनसे एक बार पूछा था कि वह भविष्य को कैसे देख लेती हैं तथा गायब व्यक्ति या वस्तुओं का पता कैसे लगा लेती हैं, तो फ्लोरेंस ने बताया,
‘‘मुझे स्वयं नहीं मालूम कि ऐसा कैसे सम्भव हो जाता है। मैं भविष्य के विषय में एक बहुत महत्वपूर्ण बात बता रहीं हूँ।

*20 वीं शताब्दी के अंत में भारतवर्ष से एक प्रकाश निकलेगा।*
यह प्रकाश पूरी दुनिया को उन दैवी शक्तियों के विषय में जानकारी देगा, जो अब तक हम सभी के लिए रहस्यमय बनी हुई हैं।
 (देवीशक्तियों की जानकारी जो सन्त रामपाल दास जी महाराज द्वारा बताई गई हैं।



 एक दिव्य महापुरूष द्वारा यह प्रकाश पूरे विश्व में फैलेगा। वह सभी को सत् मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा। समस्त दुनिया में एक नयी सोच की ज्योति फैलेगी। जब मैं ध्यानावस्था में होती हूँ तो अक्सर यहदिव्य महापुरूष मुझे दिखाई देते हैं।


*’’फ्लोरेंस ने बार-बार इस संत या दिव्य महापुरूष का जिक्र किया है। साथ ही यह भी बताया है कि उत्तरी भारतवर्ष के एक पवित्र स्थान पर वह मौजूद हैं।

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