भगवान राम की एक बहन भी थी !!!

भगवान राम की एक बहन भी थी



भगवान राम की एक बहन भी थी लेकिन उसके पैदा होने से राज्य में आ गया था अकाल इसलिए उसको…

यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि भगवान श्री राम जी के एक बहन भी थी.

वह जब पैदा हुई थी तो राज्य में अकाल आ गया था. कुछ लोग बताते हैं इसलिए राजा दशरथ ने अपनी बेटी किसी और को दान दे दी थी. वहीँ कुछ लोग कहते हैं कि दशरथ ने अपनी बेटी अपने एक दोस्त को गोद दे दी थी.

लेकिन दोनों ही जगह राजा दशरथ का व्यवहार कठोर दिखता है. साथ ही साथ ना जाने क्यों इस बात को सभी से छुपाया भी जाता है.

दक्षिण भारत की रामायण में इस बात का जिक्र आता है कि शांता नाम की एक लड़की भी राजा दशरथ को हुई थी. बाकी रामायणों में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं हुआ है.

क्या कहती हैं पौराणिक कथायें?
वाल्मीकि  रामायण   के   बालकांड  इन   श्लोकों   को   ध्यान  से पढ़ें , इनका हिंदी  अर्थ  जानने का एक प्रयास भी करें.

‘यह जानकारी जस की तस आप बालकांड में भी देख सकते हैं’

अङ्ग राजेन सख्यम् च तस्य राज्ञो भविष्यति |
कन्या च अस्य महाभागा शांता नाम भविष्यति || काण्ड 1 सर्ग 11 श्लोक 3

अर्थ – उनकी  शांता   नामकी  पुत्री पैदा हुई   जिसे  उन्होंने अपने मित्र   अंग  देश   के  राजा  रोमपाद  को   गोद   दे दिया  और  अपने  मंत्री  सुमंत  के कहने पर उसकी शादी श्रृंगी ऋषि   से  तय   कर दी  थी.

अनपत्योऽस्मि धर्मात्मन् शांता भर्ता मम क्रतुम् |
आहरेत त्वया आज्ञप्तः संतानार्थम् कुलस्य च || काण्ड 1 सर्ग 11 श्लोक 5

अर्थ -तब   राजा   ने   अंग  के  राजा  से  कहा कि मैं   पुत्रहीन  हूँ, आप शांता और उसके  पति  श्रंगी ऋषि   को  बुलवाइए मैं  उनसे पुत्र  प्राप्ति  के लिए  वैदिक  अनुष्ठान    कराना  चाहता  हूँ .

श्रुत्वा राज्ञोऽथ तत् वाक्यम् मनसा स विचिंत्य च |
प्रदास्यते पुत्रवन्तम् शांता भर्तारम् आत्मवान् || काण्ड 1 सर्ग 11 श्लोक 6

अर्थ -दशरथ की  यह   बात  सुन   कर अंग  के राजा  रोमपाद  ने  हृदय  से   इस बात को   स्वीकार   किया और  किसी   दूत  से  श्रृंगीऋषि को  पुत्रेष्टि  यज्ञ  करने  के लिए  बुलाया.

अन्त:पुरं प्रविश्यास्मै कन्यां दत्त्वा यथाविधि.
शान्तां शान्तेन मनसा राजा हर्षमवाप स|| काण्ड 1 सर्ग10  श्लोक 31

अर्थ – यज्ञ   समाप्ति  के  बाद राजा  ने शांता   को अंतः पर  में  बुलाया  और रीति  के  अनुसार  उपहार  दिए, जिस से  शांता  का मन    हर्षित  हो   गया.

इन सभी बातों को आप बालकाण्ड से जाँच सकते हैं किन्तु अब अहम् बात यह है कि आखिर पुत्र वियोग में प्राण देने वाले दशरथ को कभी पुत्री की याद नहीं आई?

या वह पुत्री से प्यार नहीं कर रहे थे?

या हो सकता है कि लिखने वाले आजतक इस अध्याय को जान ही नहीं पाए हैं.

एक अन्य कथा यह कहती है

दक्षिणी रामायणों के अनुसार भगवान राम की एक बहन भी थीं, जो उनसे बड़ी थी. उनका नाम शांता था, जो चारों भाइयों से बड़ी थीं. लोककथा अनुसार शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं. शांता जब पैदा हुई, तब अयोध्‍या में 12 वर्षों तक अकाल पड़ा. चिंतित राजा दशरथ को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शां‍ता ही अकाल का कारण है. राजा दशरथ ने अकाल दूर करने हेतु अपनी पुत्री शांता को अपनी साली वर्षिणी जो कि अंगदेश के राजा रोमपद कि पत्नी थीं उन्हें दान कर दिया. शांता का पालन-पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने किया, जो महारानी कौशल्या की बहन अर्थात श्री राम की मौसी थीं. दशरथ शांता को अयोध्या बुलाने से डरते थे इसलिए कि कहीं फिर से अकाल नहीं पड़ जाए. रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी ने शांता का विवाह महर्षि विभाण्डक के पुत्र ऋंग ऋषि से कर दिया.

इन बातों से यह तो ज्ञात होता है कि भगवान राम जी के एक बड़ी बहन थी लेकिन यह इतिहास लिखने वाले की ही कमी है कि वह इस अध्याय को जनता के सामने नहीं ला पाया है.

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