हनुमान जी ने कभी नही कहा की आप उनकी पुजा करों ?

हनुमान जी ने कभी नही कहा की आप उनकी पुजा करों ।




हिन्दू धर्म के लोग अज्ञानता वश हनुमान जी की पूजा करते हैं। परन्तु स्वयं हनुमान जी सुन्दर काण्ड के 16 पृष्ठ पर कह रहे हैं कि

प्रातः लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥

अर्थात् प्रातः काल उठकर जो व्यक्ति मेरा नाम ले, उसे उस दिन आहार भी प्राप्त ना हो।

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श्रीमद्भगवत् गीता जी में बताया गया है कि जो व्यक्ति जिस देवता को इष्ट रूप में पूजता है। वह उपासक उसी देव के लोक में जाता है तथा उपने पुण्य क्षीण होने पर वापस मृत्युलोक में आता है तथा 84 लाख प्राणियों के शरीरों में चक्कर लगाता है। 

परन्तु जिनका ( हनुमान जी, भैरव आदि) स्वयं का कोई लोक नहीं होता, उनके उपासक किस लोक में जाते है? 

इसलिए विचार करे और उस समर्थ प्रभु की शरण ग्रहण करे जिसकी शरण हनुमान जी ने ग्रहण की। हनुमान जी पहले रामचन्द्र जी की भगति करते थे परंतु जब उन्हें महर्षि मुनिन्द्र जी से तत्वज्ञान प्राप्त हुआ कि जिस दशरथ-पुत्र राम की वे पूजा कर रहे है ऐसे तो 30 करोड़ राम अा- आ कर मर गये। ये राम तो नाशवान है और सर्वशक्तिमान परमात्मा तो अलग ही है। तब उन्होंने महर्षि मुनिन्द्र को गुरु बनाया तथा उनसे दिक्षा प्राप्त की तथा अपना कल्याण कराया।

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