कभी इस संत के ज्ञान का हुआ था जमकर विरोध, अब वही विरोधी कर रहे हैं समर्थन

क्या अब सब धर्मगुरुओं के सुर अब बदलने लगे हैं!


कभी इस संत के ज्ञान का हुआ था जमकर विरोध, अब वही विरोधी कर रहे हैं समर्थन।

 संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से प्रेरित श्रद्धालुओं ने धर्मगुरुओं के ज्ञान का किया आकलन तो सबके सुर बदलने लगे हैं।


  भारत देश का बहुत बड़ा समाचार पत्र समूह "दैनिक जागरण" के ऊर्जा नामक आर्टिकल में जन्म-मृत्यु नाम से एक लेख छपा है जिसके लेखक अशोक वाजपेयी जी ने स्वीकारा है कि "किसी तत्वदर्शी संत जो पूर्ण परमात्मा के तत्व को जानने वाले हो उनकी शरण में जाकर उनसे ज्ञान उपदेश लेकर परमेश्वर की सद भक्ति करें जो सांसारिक चक्र से छूटकर अपने मूल निवास स्थान पर जा सकते हैं जहां जाकर प्राणी संसार में नहीं लौटेंगे गीता के अनुसार ऐसा तत्व दर्शी संत उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग को मूल सहित सभी भागों को पूर्ण रुप से जानता है। उस तत्वदर्शी संत को दंडवत प्रणाम करके कपट भाव् छोड़कर सरलता पूर्वक प्रश्न करने से, वह तत्वदर्शी संत उस परमात्म तत्व का ज्ञान उपदेश करेंगे एवं आगे लेख में लिखा गया है कि वह तत्वदर्शी संत ही आपको जन्म मृत्यु के चक्र से निकालने का एकमात्र साधन है एवं लेख में यह भी स्वीकारा गया है कि वह तत्वदर्शी संत जो तत्वज्ञान देगा वह प्रचलित ज्ञान से भिन्न होगा"।

"इस प्रकार का ज्ञान इस धरती पर या तो 600 साल पहले पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब ने दिया या उनके द्वारा दिए गए ज्ञान द्वारा कुछ गिने चुने संतों ने कहा और आज के समय में सिर्फ और सिर्फ जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अलावा यह ज्ञान किसी और ने नहीं दिया।"

आज देश के तमाम लेखक, संत, धर्मगुरु आदि संत रामपाल जी महाराज की पुस्तकों का अध्ययन कर दबी जुबान ही सही परंतु संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान को स्वीकार कर रहे हैं। 

इसी प्रकार प्रसिद्ध भगवताचार्य देवकीनंदन ठाकुर जी ने भी पूर्ण रूप से स्वीकारा है कि-"गीता ज्ञान श्रीकृष्ण ने नहीं दिया बल्कि उनके शरीर में काल ने प्रविष्ट होकर गीता ज्ञान बुलवाया" एवं एक अन्य संत ने स्वीकारा कि "शास्त्रों में परमात्मा साकार है"
इस प्रकार धीरे-धीरे इस देश का, इस दुनिया का बच्चा-बच्चा संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान की भाषा बोलेगा उनके ज्ञान को पूर्ण रुप से स्वीकारेगा और अनुसरण करेगा। भले ही आज संत रामपाल जी का कितना भी विरोध हो रहा हो परंतु उन्होंने समाज में अपने तत्वज्ञान से इस प्रकार का वातावरण, परिस्थिति निर्मित कर दी है कि जिससे कोई भी मानव अछूता नहीं रह सकता।

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