जेल में बंद कैदियों ने माना कि नही होते जेल में, अगर पहले मिल जाता ये संत

जेल में बंद कैदियों ने माना कि नही होते जेल में, अगर पहले मिल जाता ये संत और ये ज्ञान। 



10 फरवरी 2017
बड़वानी । संत रामपाल जी महाराज के जेल में होने की खबर से भी आहत। बोले ऐसा संत गुनहगार नही हो सकता। जी हां, इस तरह की बाते अक्सर संत रामपाल जी महाराज के अनुयायिओं को जेल में बंद कैदियों के मुख से सुनने की मिल जाती है, जब वो जेलो में बंद सजायाफ्ता कैदियो को संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी पुस्तक ज्ञान गंगा का वितरण करने पहुँचते हैं।

भारत देश ही नहीं नेपाल में भी संत रामपाल जी महाराज ने ऐसा जादू करके दिखाया है, कि उनके सत्संग एवम उनके द्वारा लिखी अद्वितीय पुस्तक ज्ञान गंगा को पढ़कर लोग दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं।आज मध्य प्रदेश के जिला बड़वानी की बारी थी यहां पर संत रामपाल जी महाराज के कर्मठ शिष्यों ने जा कर जेलों में बंद अपने अपराधों ,गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों को परमात्मा का मार्ग बता कर परमार्थ का कार्य किया।

यहां पर अनुयायीयों ने 100 से ज्यादा संत रामपाल जी महाराज द्वारा रचित पवित्र पुस्तक जो कि सभी धर्म ग्रंथों के पवित्र शास्त्रों के आधार पर प्रमाणित पुस्तक "ज्ञान गंगा" एवं "गीता तेरा ज्ञान अमृत" का कैदियों में वितरण किया। कैदियों ने पुस्तकों को प्राप्त कर बड़ी ही प्रसन्नता जाहिर की और संत रामपाल जी महाराज एवम उनके शिष्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। पुस्तक ज्ञान गंगा एवं गीता तेरा ज्ञान अमृत का वितरण जेल प्रशासन के कर्मचारियों में भी किया गया एवं यहीं पर उपस्थित सेंधवा उप जिला जेलर ने भी इस अभूतपूर्व पुस्तक सेवा के लिए भक्तों से आग्रह किया कि वह भी  सेंधवा उप जेल में आकर यह सेवा करें । 




जब "ज्ञान गंगा" पुस्तक एस.बी.शरण (प्रभारी जेल अधीक्षक) केंद्रीय जेल, बड़वानी जी को भेंट की गई तब उन्होंने उस पुस्तक को थोड़ी देर पढ़ा और कहा कि इस पुस्तक का नाम ज्ञान गंगा नहीं "ज्ञान महासागर" होना चाहिए था क्योंकि इस पुस्तक में आध्यात्मिकता से ओतप्रोत अद्वितीय ज्ञान दिया गया है जो कि आज तक के किसी भी धर्मगुरु, पीठाधीश्वर ,काजी, पोप, प्रवक्ता आदि ने यह निर्मल ज्ञान समाज को नहीं दिया अगर यह ज्ञान इस समाज को जो की शास्त्रों के आधार पर है इसे बताया गया होता तो आज देश की अदालतें और देश की तमाम जेलें भरी नहीं होती । इसके सीधे-सीधे दोषी हमारे तथाकथित धर्मगुरु है । 

मैं संत रामपाल जी महाराज एवं उनके अनगिनत शिष्यों के इस सराहनीय एवं जनहित के कार्य की प्रशंसा करता हूं जो ऐसा समाज कल्याण कार्य करने में कर्तव्यनिष्ट है एवं इनकी समाज कल्याण की प्रतिबद्धता को देखकर आज मुझे बेहद खुशी हो रही है ।

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