जेल में बंद एक संत की हर तारीख पर आने वाली हजारों की भीड़ का इकठ्ठा होना समझ से परे

जेल में बंद एक संत की हर तारीख पर आने वाली हजारों की भीड़ का इकठ्ठा होना समझ से परे।



13 फरवरी 2017
हिसार । कहते हैं कानून के हाथ बहुत बड़े होते हैं, लेकिन जिस कानून ने एक संत को ये कह कर जेल में डाला था कि आपने अपने अनुयायिओं को बंदी बना के ढाल बनाया अपने बचाव के लिए, तो सरकार और प्रशासन के लिए चारों और प्रशंसा की जा रही थी कि हरियाणा प्रशासन ने एक बाबा के चुंगल से हजारों लोगों को मुक्त करा दिया। लेकिन अखबारों और न्यूज़ चैनल ने अभी सरकार और प्रशासन का गुणगान बंद भी नही किया था कि जिन लोगों को पुलिस ने बाबा के चुंगल से मुक्त कराया था वो तो फिर से अपने और नए साथियों के साथ बाबा के साथ जेल में यानि कि उनके चुंगल में फसने की जिद कर रहे हैं। और ये जिद लगातार 2 साल से कर रहे हैं। 



अब हमें ये समझ नही आ रहा की बाबा के ऊपर एक आरोप और लगाया जाये या प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर थूका जाये।  बाबा पर आरोप ये लग सकता है कि उन्होंने अपने भक्तों को अपने वश में कर रखा है, लेकिन ये तर्कसंगत न होगा क्योंकि ये तो फिर सरकार को वही वश में कर सकते हैं। हाँ सरकार की कार्यप्रणाली जरूर संदेहात्मक है क्योंकि लगातार 2 साल से जेल को जेल धाम बना देने वाली ये भीड़ आखिर क्यों सीबीआई जांच की मांग कर रही है। लगता है लोगों को समझ आने लगा है, चुंगल में सरकार फसी हुई है वो भी अपने चाटुकार अधिकारी और नेताओं के। 

ये लोग किसी राजनेता की रैली में शामिल होने के लिए नही आये है नाही ये सभी किसी ट्रेन के आने का इन्तेजार कर रहे है ये संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी है । 

"गौरतलब है कि नवम्बर 2014 को सतलोक आश्रम बरवाला पर हुई हिंसक पुलिसिया कार्यवाही में 5 महिला समेत एक मासूम की मौत हो गयी, पुलिस प्रशासन ने अपना घिनोने कृत छिपाने के लिए संत रामपाल जी महाराज व उनके समर्थकों पर सारा ठीकरा फोड़ दिया और संत रामपाल जी महाराज के साथ लगभग उनके 1000 शिष्य पर देशद्रोह का झुठा मुकदमे लगे दिए जिसकी आज हिसार कोर्ट ने सुनवाई के चलते ये सभी लोग एकत्रित हुए लेकिन हिसार पुलिस की बर्बरता अभी भी बरकरार है वो अभी भी पेशी पर आये निर्दोष लोगो को कोर्ट में पेश होने में बाधा बनती है ।"
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